Er. IP Gupta
बिहार के जमुई ज़िले के एक छोटे से कस्बाई गाँव पतौना में एक साधारण परिवार में जन्मे इंजीनियर आई. पी. गुप्ता का जीवन संघर्षों और उपलब्धियों की प्रेरणादायक कहानी है। इनके पिता, स्वर्गीय श्री सरयुग मिस्त्री, एक कुशल राजमिस्त्री थे। सात भाइयों और तीन बहनों वाले परिवार में श्री गुप्ता का स्थान सातवां था।
आई. पी. गुप्ता ने ट्रांसपोर्टेशन इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर (M.Tech) तक शिक्षा प्राप्त की। अपने जीवन में उन्होंने चार बार ड्रॉपआउट लिया—हर बार किसी नए उद्देश्य और बदलाव के लिए।
पहला ड्रॉपआउट: इंजीनियर की नौकरी छोड़कर व्यवसाय की ओर रुख किया।
दूसरा ड्रॉपआउट: व्यवसाय छोड़ सामाजिक गतिविधियों और जातीय चेतना के लिए समर्पित हुए।
तीसरा ड्रॉपआउट: सामाजिक कार्यों से राजनीति की ओर कदम बढ़ाया।
चौथा और अंतिम ड्रॉपआउट: ‘जाट से जमात’ तक की यात्रा के culmination पर 13 अप्रैल को लाखों की भीड़ के सामने “हांको रथ हम पान है” महारैली में ‘इंडियन इंकलाब पार्टी’ की स्थापना की।
‘पान समाज’ की राजनीतिक पहचान की शुरुआत
4 जून 2023 को पटना के बापू सभागार में ‘पान को जानो, पान को पहचानो, पान को मानो’ महारैली के माध्यम से उन्होंने ‘हांको रथ हम पान है’ अभियान की शुरुआत की। इस आयोजन में उन्होंने अपना ऐतिहासिक वक्तव्य दिया—”मैं तुम्हारा नस्ल बदलने आया हूँ।” यह रैली पान समाज के लिए पहचान और सम्मान की दिशा में पहला ऐतिहासिक कदम थी, जिसने पटना की सड़कों पर अभूतपूर्व भीड़ जुटाकर राजनीतिक गलियारों में नई हलचल पैदा कर दी।
पान सत्याग्रह आंदोलन
12 अगस्त 2024 को जब बिहार सरकार द्वारा ताँती तत्वा से ‘पान’ का दर्जा छीन लिया गया, तो इसके विरोध में आई. पी. गुप्ता ने नेतृत्व संभाला। 27 अगस्त 2024 को उन्होंने बिहार के हजारों छात्रों के साथ BPSC की तानाशाही नीतियों के खिलाफ “पान सत्याग्रह आंदोलन” शुरू किया।
इंक़लाब अब केवल इतिहास की किताबों में नहीं, यह आज के हर जागरूक नागरिक की सोच में ज़िंदा है।
इंडियन इंक्लूसिव पार्टी उस क्रांति की लौ है, जो न्याय, समानता और स्वराज की भावना को फिर से जलाती है। आइए, जुड़िए इस जन आंदोलन से — जहाँ हर आवाज़ मायने रखती है,
हर कदम बदलाव की ओर बढ़ता है।
एक ऐसा युवा जो इंजीनियर बनने निकला था, लेकिन हालातों ने उसे कॉलेज ड्रॉपआउट बना दिया। फिर भी उसने हार नहीं मानी और एक सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बनाई। जब उसने समाज की असल तकलीफें और नेताओं की बेरुखी देखी, तो उसने फैसला किया कि अब बदलाव खुद लाना है। पैसे और शोहरत की दुनिया छोड़कर वह आम जनता के बीच आया और एक क्रांतिकारी नेता बना, जो ना सत्ता के लिए लड़ा, ना नाम के लिए, बल्कि सिर्फ और सिर्फ जनसेवा के लिए। वह आज भी कहता है, “मैं कोई खास नहीं, मैं भी आप जैसा एक आम इंसान हूँ, बस कुछ कर गुजरने का जुनून रखता हूँ।”
















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